
भारत के सिलिकॉन वैली के रूप में प्रसिद्ध बेंगलुरु शहर, जो अपनी आधुनिक जीवनशैली के लिए दुनिया भर में मशहूर है, वहां पानी की कमी के लिए पीड़ित है। बड़ी-बड़ी हाउसिंग सोसाइटियों में जहां फ्लैट्स के करोड़ों में दाम हैं, वहां के लोगों को पानी की बूंदों के लिए तरस रहे हैं। यहां लोग मुंह धोने, बर्तन धोने और नहाने के लिए भी पानी की कमी के कारण वेट वाइप्स का उपयोग कर रहे हैं। इसके अलावा, पीने के लिए भी पानी की कमी हो रही है। बेंगलुरु का मौसम 35 डिग्री की गर्मी के साथ चल रहा है, जो इसकी आलोचना के लायक है।
यह स्थिति अचानक नहीं हुई है, लेकिन दिन-प्रतिदिन बदतर हो रही है। अनुमान किया जाता है कि बेंगलुरु में प्रति दिन 1500 एमएलडी की पानी की कमी है। इसके अलावा, बाढ़ के कारण जीवनधारा में खराबी भी है, जिससे लोगों को और भी परेशानी हो रही है।

बेंगलुरु की स्थिति में सुधार लाने की आवश्यकता है, और समाज को इसमें साथ देना होगा। सरकार और सामाजिक संगठनों को इस मुद्दे पर गंभीरता से काम करना होगा।
बेंगलुरु ने पिछले कुछ दशकों में तेजी से विकास किया है, लेकिन यह विकास बिना पर्यावरणीय संरक्षण के हुआ है। नदियों को बंद कर लेकर बिल्डिंगें बनाने, और पर्यावरण को नष्ट करने के कारण बेंगलुरु अब जल संकट का सामना कर रहा है।
समाज को साझा जिम्मेदारी लेनी होगी। लोगों को पानी का सवा-सौदा करना होगा। उन्हें जल संरक्षण के उपायों को अपनाना होगा, जैसे कि वर्षा जल को संचित करना, जल संयंत्रों का प्रयोग करना, और जल संरचनाओं की सुधारणा करना।
आने वाले समय में, बेंगलुरु को पानी की संभावित आपातकाल के लिए तैयार रहना होगा। सरकार को बेंगलुरु की पानी संबंधित अनियमितताओं को ध्यान में रखते हुए उचित प्रबंधन की ओर ध्यान देना होगा।
इसके अलावा, जनता को भी जागरूकता फैलानी होगी।